बचपन की होती है हर बात निराली, हर रोज ही होली है हर रात दिवाली। बचपन की होती है हर बात निराली, हर रोज ही होली है हर रात दिवाली।
आ जाना तुम खुद के करीब, होती यही से मजबूत हर नींव। आ जाना तुम खुद के करीब, होती यही से मजबूत हर नींव।
जुर्म है ये आशिकी और इश्क भी फ़रेब है। जुर्म है ये आशिकी और इश्क भी फ़रेब है।
रास्ते में भी मिल गए जो शायद तो रास्ते बदल देंगे हम दोनों। रास्ते में भी मिल गए जो शायद तो रास्ते बदल देंगे हम दोनों।
ख़्वाबों में चहकने लगे हैं मानो लफ्जों से फिसलने लगे हैं। ख़्वाबों में चहकने लगे हैं मानो लफ्जों से फिसलने लगे हैं।
तुम्हारी सुंदरता को आत्मसात करना चाहती हूँ मैं। तुम्हारी सुंदरता को आत्मसात करना चाहती हूँ मैं।